सितंबर में बीटरूट Beetroot (चुकंदर) की खेती करके कमाए लाखो का मुनाफा मात्र इतने दिनों में !

बीटरूट Beetroot (चुकंदर) एक लोकप्रिय जड़ वाली सब्जी है जिसे उसके मीठे स्वाद और स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। इसमें आयरन, फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण फसल बनाते हैं। सितंबर का महीना बीटरूट की खेती के लिए एक आदर्श समय है क्योंकि इस दौरान जलवायु अनुकूल होती है।

बीटरूट Beetroot की खेती के लिए आवश्यकताएँ

गुणवत्ताविवरण
मिट्टी का प्रकारहल्की दोमट या बलुई दोमट मिट्टी
पीएच स्तर6.0-7.5
तापमान15-25 डिग्री सेल्सियस
बीज की मात्रा4-5 किलोग्राम प्रति एकड़
अंतरालपंक्ति से पंक्ति 20-25 सेमी, पौधे से पौधे 10 सेमी
सिंचाईहल्की सिंचाई, आवश्यकता अनुसार
फसल की अवधि90-100 दिन
खाद एवं उर्वरकगोबर की खाद, नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश की आवश्यकता के अनुसार उपयोग

Beetroot मिट्टी की तैयारी

  1. मिट्टी का चयन: बीटरूट के लिए हल्की दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए ताकि फसल को अच्छे पोषक तत्व मिल सकें।
  2. खेत की जुताई: खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी और पौधों की जड़ें आसानी से विकसित हो सकें। इसके बाद खेत को समतल करें और पानी की उचित निकासी की व्यवस्था करें।
  3. खाद और उर्वरक: 8-10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट प्रति एकड़ खेत में डालें। इसके साथ ही, 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस, और 40 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करें।

Beetroot बीज की बुवाई

  1. बीज का चयन: हमेशा उच्च गुणवत्ता वाले और रोग मुक्त बीजों का चयन करें। बीजों को प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें।
  2. बुवाई का समय: सितंबर का महीना बीटरूट की बुवाई के लिए आदर्श होता है। इस दौरान तापमान और नमी की स्थिति फसल के लिए उपयुक्त होती है।
  3. बुवाई की विधि:
  1. बीजों को पंक्तियों में बोएं, पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20-25 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखें।
  2. बीजों को 1.5-2.0 सेमी की गहराई पर बोएं।
  1. बीज उपचार: बीजों को फफूंदनाशक से उपचारित करने से रोगों का प्रकोप कम होता है और अंकुरण दर बेहतर होती है।
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Beetroot सिंचाई और जल प्रबंधन

  1. पहली सिंचाई: बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
  2. सिंचाई का अंतराल: फसल की वृद्धि के अनुसार 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। अधिक पानी या जलभराव से बचें, क्योंकि इससे जड़ सड़न की समस्या हो सकती है।
  3. जल निकासी की व्यवस्था: बीटरूट की खेती के लिए जल निकासी की उचित व्यवस्था आवश्यक है, ताकि फसल की जड़ों को सड़ने से बचाया जा सके।

Beetroot खरपतवार नियंत्रण

  1. खरपतवार की रोकथाम: खेत को खरपतवार मुक्त रखने के लिए 15-20 दिन के अंतराल पर निराई-गुड़ाई करें।
  2. रासायनिक नियंत्रण: आवश्यकता पड़ने पर खरपतवारनाशी का उपयोग करें, लेकिन ध्यान रखें कि इसका उपयोग फसल की वृद्धि अवस्था के अनुसार ही किया जाए।

Beetroot रोग और कीट प्रबंधन

  1. रोग प्रबंधन: बीटरूट की फसल में पत्तियों का धब्बा रोग, डाऊनी मिल्ड्यू और पाउडरी मिल्ड्यू जैसे रोग आम होते हैं। इन रोगों की रोकथाम के लिए जैविक और रासायनिक फफूंदनाशकों का उपयोग करें।
  2. कीट प्रबंधन: बीटरूट की फसल पर एफिड्स, कटवर्म और पत्तियों के चबाने वाले कीटों का प्रकोप हो सकता है। कीट नियंत्रण के लिए जैविक नियंत्रण जैसे नीम के तेल का उपयोग करें।

Beetroot रोग और कीट प्रबंधन

खाद और उर्वरक प्रबंधन

  1. उर्वरक का उपयोग:
  1. बुवाई के 20-25 दिन बाद नाइट्रोजन का आधा हिस्सा और पोटाश का पूरा हिस्सा दें।
  2. 40-50 दिन बाद नाइट्रोजन का बचा हुआ हिस्सा दें।
  1. खाद प्रबंधन: गोबर की खाद या कम्पोस्ट का उपयोग मिट्टी की उर्वरकता बनाए रखने में मदद करता है और फसल की वृद्धि को बढ़ावा देता है।

फसल की कटाई

  1. कटाई का समय: बीटरूट की फसल को बुवाई के 90-100 दिन बाद काटा जाता है जब जड़ें 6-8 सेमी की हो जाएं।
  2. कटाई की विधि: सुबह या शाम के समय कटाई करें। कटाई करते समय जड़ों को नुकसान न पहुंचे इसका विशेष ध्यान रखें।
  3. कटाई के बाद प्रबंधन: कटाई के बाद जड़ों को साफ करें और उन्हें छायादार स्थान पर सुखाएं।

भंडारण और विपणन

  1. भंडारण: कटाई के बाद बीटरूट की जड़ों को ठंडे और सूखे स्थान पर रखें ताकि उनकी ताजगी बनी रहे। लंबी अवधि के लिए भंडारण करने के लिए 0-2 डिग्री सेल्सियस तापमान और 90-95% आर्द्रता अनुकूल रहती है।
  2. विपणन: बीटरूट को बाजार में जल्दी भेजें ताकि किसानों को ताजगी और गुणवत्ता का अधिक मूल्य मिल सके।

निष्कर्ष

सितंबर में बीटरूट की खेती करने से किसान बेहतर गुणवत्ता और अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। बीटरूट एक लाभदायक फसल है जिसे उचित कृषि पद्धतियों का पालन करके सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। सही मिट्टी की तैयारी, बुवाई का समय, सिंचाई प्रबंधन, और रोग नियंत्रण के उपाय अपनाकर किसान अपनी फसल से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी केवल संदर्भ उद्देश्यों के लिए प्रदान की गई है। कृपया हमेशा खेती के दौरान विशेषज्ञ की सलाह और अनुशंसित कृषि पद्धतियों का पालन करें।

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