मटर की खेती भारत में व्यापक रूप से की जाती है और यह किसानों के लिए एक लाभदायक फसल है। सितंबर का महीना मटर की बुवाई के लिए उपयुक्त समय होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि सितंबर में मटर की खेती कैसे करें, साथ ही कुछ प्रमुख मटर की किस्मों जैसे Advanta Gs-10, Syngenta Mucio Peas Seeds, और Ankur Rajas Pea Seeds के बारे में भी चर्चा करेंगे।
मटर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
मटर की खेती के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। 15°C से 25°C के बीच का तापमान मटर की अच्छी वृद्धि और फसल के लिए अनुकूल होता है। मटर के पौधे को अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी पसंद होती है, इसलिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी मटर की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
मटर की प्रमुख किस्में
मटर की खेती के लिए बाजार में कई प्रकार की किस्में उपलब्ध हैं। यहाँ हम तीन प्रमुख किस्मों के बारे में जानेंगे:
किस्म का नाम | विशेषताएँ | उपयुक्त क्षेत्र |
---|---|---|
Advanta Gs-10 | यह किस्म अधिक उत्पादन क्षमता वाली है और जल्दी पकने वाली होती है। | उत्तर भारत |
Syngenta Mucio Peas Seeds | यह किस्म मध्यम अवधि में पकने वाली है और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली होती है। | पश्चिम और उत्तर भारत |
Ankur Rajas Pea Seeds | यह किस्म स्वाद में बेहतरीन और ऊँची गुणवत्ता की होती है। | दक्षिण और मध्य भारत |
मटर की बुवाई की तैयारी
- भूमि की तैयारी: मटर की खेती के लिए सबसे पहले भूमि की गहरी जुताई करनी चाहिए। इसके बाद 2-3 बार हल्की जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें। भूमि में गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाकर भूमि को उपजाऊ बनाएं।
- बीज का चयन और उपचार: मटर की खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना महत्वपूर्ण होता है। बीज को फफूंद नाशक दवाओं से उपचारित करना चाहिए, जिससे बीज जनित रोगों से बचाव हो सके।
- बीज की बुवाई: मटर की बुवाई के लिए पंक्तियों के बीच की दूरी 30-45 सेमी और पौधों के बीच की दूरी 10-15 सेमी होनी चाहिए। बीज को 3-5 सेमी की गहराई पर बोना चाहिए। बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
सिंचाई और खाद प्रबंधन
- सिंचाई: मटर के पौधों को अत्यधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन मिट्टी को नम बनाए रखना जरूरी है। बुवाई के बाद पहली सिंचाई करें और फिर मिट्टी की नमी के आधार पर 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
- खाद प्रबंधन: मटर की फसल में जैविक खाद का उपयोग सर्वोत्तम माना जाता है। फसल के विकास के दौरान, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश की संतुलित मात्रा में आवश्यकता होती है। आवश्यकतानुसार उर्वरकों का प्रयोग करें।
फसल की देखभाल और रोग नियंत्रण
- फसल की देखभाल: मटर की खेती में निराई-गुड़ाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। फसल में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए समय-समय पर निराई करें। इसके अलावा, पौधों को समर्थन देने के लिए बांस की खपच्चियों का प्रयोग किया जा सकता है।
- रोग नियंत्रण: मटर की फसल पर विभिन्न प्रकार के रोगों का आक्रमण हो सकता है, जैसे पाउडरी मिल्ड्यू, विल्ट, और रूट रॉट। इनसे बचाव के लिए जैविक या रासायनिक उपचार का उपयोग करें। समय-समय पर फसल का निरीक्षण करें और रोग दिखने पर तुरंत उपचार करें।
फसल की कटाई और भंडारण
मटर की फसल 70-90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। जब मटर की फलियाँ हरी और मुलायम हो जाएँ, तो फसल की कटाई करें। कटाई के बाद फलियों को छाँटकर और सफाई करके बाजार में बेचने के लिए तैयार करें।
भंडारण के लिए मटर की फलियों को ठंडी और हवादार जगह पर रखें। यदि फसल को लंबे समय तक भंडारित करना हो, तो फलियों को सुखाकर स्टोर करें। इससे उनकी गुणवत्ता बनी रहती है और उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
मटर की खेती से होने वाले लाभ
मटर की खेती से किसानों को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं:
- उच्च उत्पादन: मटर की फसल से प्रति हेक्टेयर अधिक उत्पादन प्राप्त होता है, जिससे किसानों को अच्छी आय हो सकती है।
- कम समय में तैयार: मटर की फसल 70-90 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
- पोषक तत्वों से भरपूर: मटर प्रोटीन, विटामिन्स, और मिनरल्स का अच्छा स्रोत है, जिससे इसका बाजार मूल्य भी अच्छा रहता है।
- स्वदेशी और विदेशी बाजारों में मांग: मटर की मांग न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी है, जिससे निर्यात के अवसर भी मिलते हैं।
निष्कर्ष
सितंबर में मटर की खेती करना किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प है। उचित भूमि की तैयारी, उन्नत किस्मों का चयन, और सही सिंचाई व खाद प्रबंधन से मटर की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस लेख में बताई गई प्रमुख किस्मों जैसे Advanta Gs-10, Syngenta Mucio Peas Seeds, और Ankur Rajas Pea Seeds का उपयोग करके आप उच्च गुणवत्ता और अधिक उत्पादन वाली फसल उगा सकते हैं। मटर की खेती से न केवल आपकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि आपको कृषि में एक नई दिशा भी मिलेगी।