ज़ुचिनी, (Zucchini) जिसे तोरी के नाम से भी जाना जाता है, एक तेजी से लोकप्रिय होने वाली सब्ज़ी है, जो पोषण से भरपूर होती है और बाज़ार में अच्छी कीमत पर बिकती है। भारत में ज़ुचिनी की खेती कुछ साल पहले तक बहुत कम होती थी, लेकिन अब किसान इसके लाभ को पहचानने लगे हैं। इस लेख में हम ज़ुचिनी की खेती की पूरी तैयारी और बाज़ार में इसके भाव के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
ज़ुचिनी की खेती की तैयारी
1. जलवायु और मिट्टी की आवश्यकता
ज़ुचिनी (Zucchini) की खेती के लिए 25-35 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे उपयुक्त है। यह फसल अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी में बेहतर परिणाम देती है। मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
मिट्टी का प्रकार | तापमान (°C) | पीएच मान |
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दोमट या बलुई दोमट | 25-35 | 6.0-7.5 |
2. भूमि की तैयारी
भूमि को गहराई से जुताई कर खरपतवारों को हटाना चाहिए। इसके बाद 10-12 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर भूमि में मिलानी चाहिए। भूमि की सतह को समतल कर लेना चाहिए ताकि पौधों के लिए पर्याप्त जल निकासी हो सके।
3. बीज का चयन और बुवाई
ज़ुचिनी (Zucchini) के बीजों का चयन करते समय उन्नत किस्मों का ध्यान रखना चाहिए। कुछ लोकप्रिय किस्मों में ग्रीन ज़ुचिनी, गोल्डन ज़ुचिनी, और कोंटेंडर प्रमुख हैं। बीजों की बुवाई 1.5-2.0 सेमी गहराई पर करनी चाहिए। बुवाई का समय फरवरी से मार्च और जून से जुलाई के बीच उपयुक्त होता है।
किस्म का नाम | बुवाई का समय | गहराई (सेमी) |
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ग्रीन ज़ुचिनी | फरवरी-मार्च, जून-जुलाई | 1.5-2.0 |
गोल्डन ज़ुचिनी | फरवरी-मार्च, जून-जुलाई | 1.5-2.0 |
4. सिंचाई और फसल प्रबंधन
ज़ुचिनी (Zucchini) की फसल को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। गर्मियों में हर 4-5 दिन और सर्दियों में हर 7-10 दिन पर सिंचाई करें। पौधों को फूल आने और फल लगने के समय पर विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। समय-समय पर खरपतवारों को हटाना चाहिए और उचित मात्रा में खाद का प्रयोग करना चाहिए।
ज़ुचिनी की कटाई और पैकेजिंग
ज़ुचिनी (Zucchini) के फल 40-50 दिनों के भीतर तैयार हो जाते हैं। कटाई के लिए जब फल 15-20 सेमी लंबे हो जाएं और उनका रंग गहरा हरा हो, तब उन्हें तोड़ा जा सकता है। कटाई के बाद फलों को छाया में रखकर सूखाना चाहिए और फिर उपयुक्त पैकेजिंग में रखा जाना चाहिए ताकि फलों की ताजगी बनी रहे।
बाज़ार में ज़ुचिनी का भाव
भारत में ज़ुचिनी (Zucchini) की मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर शहरी क्षेत्रों में। इसकी वजह है स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता और ज़ुचिनी के पोषण मूल्य। आमतौर पर, ज़ुचिनी की कीमतें फसल के मौसम और गुणवत्ता पर निर्भर करती हैं।
बाज़ार का नाम | भाव (रु. प्रति किलो) | गुणवत्ता |
---|---|---|
दिल्ली | 40-60 | उच्च |
मुंबई | 45-70 | मध्यम |
चेन्नई | 50-75 | उच्च |
बेंगलुरु | 55-80 | उच्च |
मार्केटिंग और लाभ
ज़ुचिनी (Zucchini) को बेचने के लिए स्थानीय सब्ज़ी मंडियों, सुपरमार्केट्स, और होटल/रेस्टोरेंट में संपर्क किया जा सकता है। इसके अलावा, किसान ज़ुचिनी को प्रोसेसिंग यूनिट्स को भी बेच सकते हैं, जहां इसे पैकेज्ड फॉर्म में तैयार किया जाता है। सही विपणन रणनीति अपनाकर किसान ज़ुचिनी की खेती से अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष
ज़ुचिनी (Zucchini) की खेती भारत में एक लाभदायक व्यवसाय साबित हो सकती है, बशर्ते कि सही तरीके से इसकी तैयारी और विपणन किया जाए। जलवायु और मिट्टी की अनुकूलता, फसल प्रबंधन, और बाज़ार की जानकारी से किसान इस फसल से अधिकतम लाभ कमा सकते हैं। उम्मीद है कि इस लेख में दी गई जानकारी आपको ज़ुचिनी की खेती करने में सहायक साबित होगी। यदि आप ज़ुचिनी की खेती से जुड़ी किसी अन्य जानकारी की आवश्यकता रखते हैं, तो आप स्थानीय कृषि विशेषज्ञ से भी संपर्क कर सकते हैं।